8th Pay Commission 2025: हर नौकरीपेशा इंसान की जिंदगी में सबसे बड़ी राहत होती है उसकी सैलरी और रिटायरमेंट के बाद की पेंशन। सरकारी कर्मचारी भी हर दिन यही सोचकर मेहनत करते हैं कि आने वाले समय में उनके जीवन की चिंता कम होगी। ऐसे में जब बात 8वें वेतन आयोग की आती है तो पूरे देश के करीब 49 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर दिल से इसके इंतजार में बैठे हैं।
7वें वेतन आयोग से क्या सीखा गया था
साल 2016 में लागू हुए 7वें वेतन आयोग ने सैलरी में बड़ा बदलाव किया था। उस समय फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय हुआ था, जिससे औसतन 23.55 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई। वहीं छठे आयोग में यह 1.86 रहा था। लेकिन इस दौरान कई अलाउंस खत्म कर दिए गए थे। कुल 196 भत्तों की समीक्षा के बाद 52 भत्तों को हटा दिया गया और 36 को दूसरे में मिला दिया गया। इससे सैलरी स्ट्रक्चर आसान हो गया और पारदर्शिता भी आई।
8वें वेतन आयोग से क्या उम्मीदें हैं
विशेषज्ञों का कहना है कि 8वें वेतन आयोग में भी अलाउंस की संख्या कम की जा सकती है। आज के समय में डिजिटल सिस्टम और नए एडमिनिस्ट्रेटिव ढांचे की वजह से कई भत्तों की जरूरत ही नहीं रह गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते पर ज्यादा फोकस होगा, जबकि छोटे और पुराने भत्तों को हटा दिया जाएगा। इससे कर्मचारियों की आमदनी पर सीधा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि सरकार हमेशा संतुलन बनाकर चलती है।
किन भत्तों पर असर हो सकता है
अभी तक कोई आधिकारिक लिस्ट सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यात्रा भत्ता, स्पेशल ड्यूटी अलाउंस, छोटे क्षेत्रीय भत्ते और पुराने विभागीय भत्ते प्रभावित हो सकते हैं। सरकार का मकसद यही रहेगा कि कर्मचारी आसानी से अपने वेतन ढांचे को समझ सकें और पेंशनरों को भी इसका फायदा मिले।
कब से लागू होगा 8वां वेतन आयोग
सरकार हर दस साल पर नया आयोग लाती है। सातवां वेतन आयोग जनवरी 2016 से लागू हुआ था, जो 2026 में पूरा होगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि नया आयोग जनवरी 2026 से प्रभावी हो सकता है। हालांकि, सरकार ने अभी तक इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की है। आयोग की शर्तें और अध्यक्ष की नियुक्ति होना बाकी है। यही शर्तें तय करेंगी कि सैलरी, अलाउंस और पेंशन पर किस तरह के बदलाव होंगे।
कितनी बढ़ेगी सैलरी
कर्मचारियों का सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस बार वेतन कितना बढ़ेगा। माना जा रहा है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.83 से 2.86 के बीच रह सकता है। इसका मतलब है कि सैलरी में लगभग 13 से 34 प्रतिशत तक का इजाफा संभव है। अगर ऐसा हुआ तो लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों की जिंदगी में आर्थिक स्थिरता और राहत दोनों आएगी।