Diesel Price 1 September: भारत में डीजल के नए दाम से जनता पर असर
Diesel Price 1 September: भारत में हर पंद्रह दिन पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों की समीक्षा होती है और यही कारण है कि लोग हमेशा आने वाली तारीखों पर नज़र बनाए रखते हैं। आम आदमी से लेकर व्यापारी तक हर कोई जानना चाहता है कि डीजल के दाम बढ़ेंगे या घटेंगे क्योंकि इसका सीधा असर जेब पर पड़ता है।
डीजल की कीमतें क्यों बदलती हैं
डीजल की कीमतों में बदलाव कई कारणों से होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ना या घटना, रुपया और डॉलर की कीमत में उतार चढ़ाव, सरकार द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स और डीजल पर लगने वाला वैट इन सबका असर सीधे तौर पर डीजल की कीमतों पर पड़ता है। जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल महंगा होता है तो भारत में भी डीजल के दाम बढ़ जाते हैं और जब कीमतें कम होती हैं तो लोगों को थोड़ी राहत मिलती है।
1 सितंबर से संभावित डीजल रेट
भारत में 1 सितंबर से डीजल की नई कीमतें लागू होंगी। अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि डीजल के दाम बढ़ेंगे या घटेंगे लेकिन ऑयल कंपनियों और सरकारी समीक्षा के बाद ही इसका ऐलान होगा। पिछले कुछ महीनों से डीजल की कीमतों में कई बार बदलाव देखने को मिला है। अगस्त के आखिरी पखवाड़े में दाम स्थिर रहे जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिली लेकिन सितंबर से फिर बदलाव हो सकता है।
डीजल की कीमत का असर आम जनता पर
डीजल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा परिवहन और कृषि क्षेत्र में होता है। जब डीजल महंगा होता है तो इसका असर बस, ट्रक और ट्रेन के किराए पर भी दिखाई देता है। किसानों को भी अपने खेतों में डीजल की जरूरत पड़ती है इसलिए दाम बढ़ने से खेती की लागत बढ़ जाती है। वहीं दूसरी ओर डीजल सस्ता होने से ट्रांसपोर्ट खर्च घटता है और रोजमर्रा की चीजें थोड़ी किफायती हो जाती हैं।
डीजल कीमत और व्यापार
व्यापारिक गतिविधियों पर भी डीजल की कीमतों का बड़ा असर पड़ता है। जब डीजल महंगा होता है तो माल ढुलाई खर्च बढ़ता है और इसका असर छोटे और बड़े दोनों व्यापारियों पर पड़ता है। अगर कीमतें कम हों तो व्यापारियों को राहत मिलती है और वस्तुएं भी ग्राहकों तक उचित दाम पर पहुंचती हैं।
सरकार और कर का असर
भारत सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स और सेस लगाती है। यही टैक्स और सेस कभी कीमत बढ़ाने तो कभी घटाने का कारण बनते हैं। सरकार का कहना होता है कि इनसे मिलने वाले राजस्व का इस्तेमाल विकास कार्यों के लिए किया जाता है लेकिन आम जनता इसे अपनी जेब पर बोझ मानती है।